What is the Risk Management in Trading: ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क
टू रिवॉर्ड रेश्यो की कमी के कारन कई ट्रेडर्स असफल होते है|
आज कल हर व्यक्ति जो Share Market में ट्रेडर है वो सिर्फ प्रॉफिट के पीछे दौड़ता हुआ
दिखता है लेकिन कुछ समय बाद वह असफल होता है|
उसे जरुरत है रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो को समझने की,
रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो के हर एक पहलू पर हम चर्चा करेंगे|
ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट करते वक्त रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो कैसे रखना चाहिए|
रिस्क मैनेजमेंट में स्टॉपलॉस का महत्व इसको हम समझेंगे क्युकी हर सफल ट्रेडर
रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो का पालन करता ही है|
इसके इस्तेमाल से ही आप सफल ट्रेडर बन पाओगे यह बात आपको पक्की करनी होगी|
आज रिस्क मैनेजमेंट की इस ब्लॉग में निचे दिए विषयो को सिखने और समज़ने की कोशिश करेंगे।
- एक ट्रेडर के लिए रिस्क मैनेजमेंट का महत्व
- ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट के साथ स्टॉपलॉस का उपयोग कैसे करें
- ट्रेडिंग में रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो की गणना कैसे करें
- ट्रेडिंग में रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो उदाहरण
- रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो के साथ विन रेट का महत्त्व
What is the Risk Management in Trading in Hindi
एक ट्रेडर के लिए रिस्क मैनेजमेंट का महत्व:
ट्रेडिंग में Risk Manage करने के साथ होनेवाले नुकसान को कम रखना जरुरी है।
आप नुकसान को कम से कम रखने में जितने सही होंगे, आप अपने Winning Trade
से आपके Net Profit को भी उतना ही बढ़ा सकेंगे ।
रिस्क मैनेजमेंट के महत्व को हम चित्र के माध्यम से समझते है जैसेकि एक ट्रेडर जो
अपने कुल ट्रेडों का केवल आधा हिस्सा जीतता है,इसका अर्थ उसका विनिंग रेट 50%
है तब भी वह सफल लाभ कमा सकता है।
आपको हर बार average loss आपके average profit से कम रखना होगा यही सक्सेस की होगी |
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ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो के साथ स्टॉपलॉस का उपयोग कैसे करें:
हम यहां रिस्क मैनेजमेंट में स्टॉपलॉस प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे किया जाय इस के
बारे में बात करने वाले है । यदि आप ट्रेडिंग में स्टॉपलॉस का इस्तेमाल नहीं करते|
इसका अर्थ आप जुआ खेल रहे हैं। आपको यह समझने की जरूरत है कि अपनी राशी
को कैसे सुरक्षित रखा जाए।
जब आप किसी शेयर में तकनीकी विश्लेषण का उपयोग करके अपनी शक्यताओं को
बढ़ाने का प्रयास कर रहे होंते है तब स्टॉप लॉस एक अत्यंत महत्वपूर्ण साधन होता है
जिससे आप अपने नुकसान को सीमित दायरे में रख सकते है।
यदि आप खुद का पैसा सुरक्षित रखना चाहते हैं तब यह हर बार अनिवार्य है की स्टॉप
लॉस के साथ काम करें यह एक बीमा पॉलिसी की तरह काम करेगा। यदि लिया हुआ
ट्रेड गलत जा रहा है तब आपको डर नहीं सताएगा की आपकी अमाउंट का बड़ा हिस्सा
सुरक्षित रहेगा|
आपको यह जानने की जरुरत है की तकनीकी विश्लेषण की मदत से अपना स्टॉप कैसे
सेट किया जाए, जिसकी चर्चा हम करने वाले है । ट्रेडिंग करते वक्त आपके स्टॉपलॉस
के साथ साथ एक अच्छा good probability Trading set up होना अत्यंत जरुरी है|
स्टॉपलॉस एक ऐसा साधन है जिसकी मदत से आप चैन की नींद सो सकते हो और
ट्रेडिंग के आलावा दूसरे भी काम कर सकते हो|
आपको हर 5-10 मिनट को ट्रेड को देखकर उसकी निगरानी भी करने की जरुरत नहीं
है। ट्रेड ऐसा होना चाहिए जिसमे कमसे कम ध्यान देने की जरुरत पड़े जिससे आपका
मन भी स्तिर रहेगा और आप कम गलतिया करोगे|
निचे दी गयी इमेज के अनुसार आपको आपका रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो हर बार 2: 1 रखने
की कोशिश करनी है और उस हिसाब से आपको आपका स्टॉप लॉस लगाना चाहिए।
अब आपके मन में सवाल आएगा risk reward ratio हर बार 2: 1 क्यू रखना है | रिस्क
टू रिवॉर्ड रेश्यो आपके good probability Trading set up के अनुसार संभावित
नुकसान और आपके ट्रेडिंग का संभावित मुनाफ़ा इस के बिच का अंतर होता है।
यदि आपका रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो 1 से कम है तो आपको ट्रेड नहीं करना चाहिए ।
ध्यान रखिये रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो हर बार 2 या यदि 2 के ऊपर मिलता है तभी आप
सफल ट्रेडर बन पाओगे|
आप सिर्फ कल्पना कीजिये की,आपका Probability Trading Set आपको 80 % की एक्यूरेसी देता है
और हर बार आप 2 या उससे ज्यादा का रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो का
पालन करके ट्रेड करते हो यह आपके ट्रेडिंग में चार चाँद लगा देगा|
ट्रेडिंग में रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो की गणना कैसे करें:
एक ट्रेडर के लिए रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो की गणना करना करना अत्यंत आवश्यक है नए
ट्रेडर को यह करने में थोड़ी दिक्कत अति है इसे कैसा करना है यह हम समझते है|
ट्रेड लेने से पहले आपको आपके Entry Price , अपने Target Price और अपने
Stoploss Price को जानने की जरुरत है।यह आप चार्ट देख कर तय कर सकते है|
यदि आपका Risk आपकी Entry Price और Stoploss Price के बीच के अंतर के
बराबर है – यानी, यदि आपका ट्रेड समाप्त हो जाता है तो आप जीतनी राशि खो देंगे।
आपका Reward आपके Target Price और Entry Price के बीच के अंतर के बराबर
है – यानी, यदि आपका ट्रेड आपकी योजना के बराबर चलता है तो आपको वह मुनाफा प्राप्त होगा।
रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो उदाहरण के साथ समज़ते है:
मान लेते है कि आप SBI BANK के शेयर ट्रेडिंग में रुचि रखते हैं।
आप 400 प्रति शेयर पर शेयर खरीदने करने की योजना कर रहे हैं और आपका
अनुमान आपके ट्रेडिंग सेटअप के हिसाब से कीमत बढ़कर 420 हो जाएगी। तो,
आपका Reward 20 RS प्रति शेयर (420 – 400 ) है।
अपने लॉस को सीमित करने के लिए, आप 390 प्रति शेयर पर स्टॉप लॉस सेट करते हैं।
तो, आपका Risk 10 RS प्रति शेयर (400-390 ) है।
इस ट्रेड के लिए आपका रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो 1:2 (10 /20 ) है ऐसा हम कह सकते है।
रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो के साथ विन रेट का महत्त्व:
स्टॉपलॉस के साथ साथ आपका winning ratio भी ज्यादा होना चाहिए तभी आप
सफल बन पाओगे कुछ लोगो का कहना होता है की स्टॉपलॉस लगाने से विनिंग रेश्यो
घटता है लेकिन यह साफ गलत है|
आपको किस रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो के साथ काम करना महत्वपूर्ण है जिससे हर महीने
आप प्रॉफिटेबल रह सके इसे निचे दी गयी चित्र से आप समझ सकते हो|
इस चित्र की प्रिंटआउट निकल कर आप आपके घर के ट्रेडिंग रूममे चिपकाइये और
इसका पालन करे हम आपको आश्वश्त कर सकते है की आपको जरूर फायदा होगा|
Risk:Reward Ratio | Win rate needed to be profitable |
1:1 | 51% |
1:2 | 34% |
1:3 | 26% |
1:4 | 21% |
1:5 | 17% |
FAQ: Frequently Asked Questions
Q.1) रिस्क मैनेजमेंट में 2 % का रूल क्या है ?
Q.2) 1:3 नियम क्या हैं ?
इसका मतलब यह हैं की आप के स्टॉपलॉस की तुलना में आप का target 3 गुना ज्यादा होना चाहिए।
निष्कर्ष:
What is the Risk Management in Trading in Hindi: हम यह आशा करते है की आपको
ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो क्या है ? यह अछेसे समझ आया होगा|
इसका इस्तेमाल करने से ही आप सफल ट्रेडर बन पाओगे ऐसी बहुत सारी रोचक बाते
हम निरंतर आपके पास पोहचने की कोशिश करते है जिससे आप आर्थिक साक्षर बन
पाए|
इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत आभार| अपने ट्रेडर दोस्त के साथ इसे शेयर करना न भूले|