Short Selling: गिरते हुए शेयर्स से ऐसे कमाए लाखो

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Short Selling: हर ट्रेडर को सफल बनने के लिए स्टॉपलॉस का ज्ञान जरुरी होता है उसी तरह शॉर्ट सेलिंग का ज्ञान भी अंत्यंत आवश्यक है|

बहुतांश लोगो को मार्केट मे काम करते हुए भी शॉर्ट सेलिंग क्या होता है पता ही नही होता|  हर सफल निवेशक को इस के बारेमे संपूर्ण जानकारी होना अनिवार्य है| 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेगे की शॉट सिलिंग क्या है, शॉर्ट सेलिंग कैसे काम करती है, आपको शॉर्टसेलिंग करनी चाहिए या नही, शॉर्टसेलिंग के फायदे क्या है, और शॉर्ट सेलिंग के नुकसान क्या है इन सभी पहलू पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे| 

राकेश झुनझुनवाला हो या राधाकृष्ण दमानी हर किसी ने शॉर्ट सेलिंग से पैसे कमाए है| इन दिग्गजों को मार्केट की गिरावट के बारे में अंदाजा तो आता ही है|

1990 में हर्षद मेहता ने एसीसी के शेयर्स के भाव मैनुपुलेट कर के बढ़ाये थे और जब गिरना शुरू हुए थे तब राधाकृष्ण दमानी ने शार्ट सेल्लिंग कर के तगड़ा मुनाफा कमाया था| 

आमतौर पर शेयर मार्केट में पहले शेयर खरीदे जाते है और किंमत बढने पर उसे प्रॉफिट के लिए बेचा जाता है| 

हर बिझनेस मे ऐसे ही होता है शेयर मार्केट केवल एक ऐसा बिजनेस है जिसमे गिरते हुए मार्केट से भी पैसा बनाया जा सकता है|

शॉर्ट सेलिंग मे इसका एकदम उलटा स्थिती रहता है| 

Short Selling मे आप किसी गिरते हुए शेयर से पैसा बना सकते हो शेअर मार्केट मे Short Selling द्वारा ऐसा संभव है| 

Short Selling:शॉर्ट सेलिंग क्या होती है?

 यदि आप एक ट्रेडर हो और आपको लगता है की किसी शेयर का मूल्य गिरने वाला है, और आप उस शेयर से गिरते हुए भी प्रॉफिट बनाना चाहते है|

तो आप आपके स्टॉक ब्रोकर से वह शेयर उधार ले सकते हो और उसे मार्केट में किसी और को बेच देते हो जब शेयर का प्राईस नीचे गिरता है तब आप उसे फिर से खरीद कर ब्रोकर को लौटा देते है| 

इस केस मे अपने बेचे हुए शेयर का प्राईस और खरीदी हुई शेयर का प्राईस के अंतर को आपका प्रॉफिट माना जायेगा| 

 शॉर्टसेलिंग (Short selling) को हम एक उदाहरण के साथ समझने की कोशिश करते है:

समज लेते है की आपको लगता है टाटा स्टील का शेयर की प्राइस नीचे जाने वाली है | इस अवसर का फायदा लेने के लिए आप 1000 शेअर्स ₹500 पर बेच देते है | 

इस केस को वास्तविक तर पर देखा जाये तो टाटा स्टील के शेयर आपके डिमॅट के पोर्टफोलिओ मे नही है फिर भी आप ने उसे बेच दिया है इन शेअर्स को अपने ब्रोकर से उधार लेकर आपने पोझिशन SHORT SELL तयार कि है,

आपका कुल सेल टर्नओव्हर हुआ 1000*500=₹ 5 लाख | 

 अब कुछ समय के बाद टाटा स्टील का शेअर का ₹ 500 रुपये से गिरकर ₹ 480 हो जाता है| 

 अब ऐसा मान लेते है की आपने 1000 शेअर्स ₹480 के भाव पर खरीद लिये है | 

आपकी टोटल बाय व्हॅल्यू बनती है :1000*480= ₹ 4.8 लाख | 

 आपने शेअर्स को ₹5 लाख मे बेचा जब की ₹ 4.80 लाख पे खरीद लिया| 

 इस मे आपका टोटल ₹ 20000/- का प्रॉफिट हुआ| 

 सामान्य रूप से किसी भी बिझनेस मे पहिले स्टॉक को खरिदा जाता है और बडे हुए भाव पर बेच दिया जाता है|

लेकिनShort Selling मे एकदम उलटा अपोजिट होता है यह आपने उपर दिये हुए उदाहरण से समझ लिया होगा| 

 आपके पोर्टफोलिओ मे शेयर न होने के कारण भी आप उसे पहिले बेच सकते है इसी कारण उसे शॉर्ट कहा जाता है| 

शॉर्ट सेल्लिंग में शेयर की किंमत यदि बढेंगी तो, आपका नुकसान होगा शॉर्ट सेल मे आपके शेयर की प्राइस गिरणी चाहिए तभी आप मुनाफा कमा पायेंगे| 

Note: Selling price और Buying price के बीच का अंतर आपका प्रॉफिट या लॉस होगा| 

शॉर्टसेलिंग में प्रॉफिट और लॉस कब होता है?

प्रॉफिट (Short Sell Position )Sell High – Buy Low
लॉस (Short Sell Position)Sell price – Buy price (Higher than sell)
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शॉर्ट सेल कितने प्रकार से किया जाता है?

 शेयर मार्केट में शॉर्ट सेल दो तरीके से किया जा सकता है| 

1) इंट्राडे शॉर्टसेलिंग-Equity

2) शॉर्ट टर्म शॉर्टसेलिंग-Future and Option

1) इंट्राडे शॉर्ट सेलिंग:

 इंट्राडे Short Sellingमें पहिले शेयर बेचा जाता है| और शेयर की किंमत कम होने पर उसे खरिदा जाता है | 

 यह पुरी प्रक्रिया एक दिन के अंदर होती है| इस कारण इस इंट्राडे Short Sellingकरते है | 

Note: इंट्राडे में शॉर्ट सेल की हुई पोझिशन आप कॅरी फॉरवर्ड नही कर सकते| यह नियम सिर्फ इक्विटी मार्केट के लिए लागू होता है| 

 इंट्राडे में Short Selling  इक्विटी, कमोडिटी,करन्सी, डेरीवटीव्ह मार्केट मे कर सकते है| 

 शॉर्ट किए हुए शेयर्स आप वापस खरीदना भूल जाते है तो आपके साथ क्या होगा?

 मान लिजिए टाटा स्टील के 100 शेयर आपने सुबह ₹500 के भाव पर बेच दिए या short कर दिए| लेकिन हुआ ऐसे की आप किसी काम में व्यस्त हो गये और दिन की समाप्ती तक आप उस शेयर को खरीद कर अपनी पोझिशन स्क्वेअर ऑफ (Square off) करना भूल गये|

ऐसी  स्थिति मे ब्रोकर आपके इंट्राडे सौदी को 3.20 p.m  तक शेअर का भाव जो भी चल रहा है उस भाव पर खरीद लेगा और आपका पोझिशन निल कर देगा| 

 जब ब्रोकर आपके तरफ से शेयर को बाय(buy)  करता है इसे ऑटो स्क्वेअर ऑफ (Auto Square Off) भी कहा जाता है, ऑटो स्क्वेअर ऑफ के समय पर  शेयर का भाव मार्केट में जो भी चल रहा होगा उस रेट पे सौदा काट दिया जायेगा| 

 यदी ऑटो स्क्वेअर ऑफ के समय शेयर का भाव ₹450 होगा तो आपको ₹50  प्रति शेयर का मुनाफा होगा | आपने 100 कॉन्टिटी सेल कि उस हिसाब से देखा जाये तो आपका कुल प्रॉफिट ₹5000 के करीब होगा | 

 इस के विपरीत यदि ऑटो स्क्वेअर ऑफ करते समय शेयर का भाव ₹550 होता है तो आपके प्राईस से ये ₹50  उपर है इस  स्तिति मे आपको ₹50 का  नुकसान झेलना पड सकता है  | 100 कॉन्टिटी सेल कि तो उस हिसाब से आपको ₹5000 की करीब नुकसान भी हो सकता है  | 

 यदि इस प्रक्रिया मे आपको नुकसान होता है तो ब्रोकर आपके ट्रेडिंग अकाउंट को नुकसान की राशि से डेबिट करेगा या  प्रॉफिट होता है तो आपके ट्रेडिंग अकाउंट मे लेजर मे क्रेडिट एन्ट्री बनेगी  | 

 शॉर्ट किये हुए शेयर पर अप्पर सर्किट लग जाये तो क्या होगा:

 अप्पर सर्किट मे शेयर के सेलर्स खतम हो जाते है और यदि आपने शेयर शॉट सेल करके रखा है तो आप उस समय उसे बाय नही कर पायेंगे| 

यांनी आपली पोझिशन स्क्वेअर ऑफ नही हो पायेगी ऐसी स्थिति मे ब्रोकर आपके बदले में एक्सचेंज मे ऑक्शन करेगा| 

इस ऑप्शन में शेअर्स को ब्रोकर आपकी तरफ से  खरीदेगा और उस व्यक्ति को देगा जिस व्यक्ति को अपने सेल कीये है| 

Note: इस केस में आप एक डिफॉल्टर बन जायेंगे ब्रोकर इस केस में डिफॉल्टर से भारी पेनल्टी शुल्क चार्ज करेगा|

ऐसी स्थिती से बचने के लिए आपको शेयर किसी भी हालत में उसी दिन स्क्वेअर ऑफ कर देने है यह परेशानी आपको सिर्फ इक्विटी मार्केट मे फेस करना पड सकती है  | 

 क्यूकी इक्विटी मार्केट मे आपको शेयर का डिलिव्हरी मिलता है|  और वायदा कारोबार में सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक कॉन्ट्रॅक्ट ट्रेड होता है| 

सिक्युरिटी लेंडिंग अँड बोरिंग (Securities Lending & borrowing) क्या होता है?

 यदि आपने शेयर शॉर्ट सेल किया है अप्पर सर्किट के कारण उसे आप स्क्वेअर ऑफ कर नही पाये तो आप तो डिफॉल्टर हुए|

बायर को यह शेअर्स चाहिये ही चाहिये| तो आप यह शेअर्स लायेंगे कहा से ऐसी स्थिती से बचने के लिए एक कन्सेप्ट होता है “सिक्युरिटी लेंडिंग अँड बोरिंग” यहा पर एक लेंडर होता है|

इसके डिमॅट अकाउंट में यह शेअर्स होते है यह शेअर्स आप लेंडर से उधार ले सकते है|

और बायर को दे सकते है ऐसे मे लेंडर को कुछ ना कुछ इंटरेस्ट का इन्कम होता है ,इस तरह के व्यापार को “SLB ACCOUNT” के द्वारा किया जाता है| 

कई सारे ब्रोकर “SLB FACILITY” देते है | 

ज्यादा तर एसएलबी फॅसिलिटी इंडिया मे युज नही की जाती| 

Auction in short selling kya hota hai?

 यदि आप डिफॉल्टर हो जायेंगे तो उस केस में ब्रोकर Auction करेगा यह प्रोसेस T+2 मे होती है|

जिस दिन अपने शेयर को शॉर्टिंग किया है उसके दो दिन बाद यह औकशन चलता है इसमें सभी ब्रोकर्स शामिल होते है इस ऑक्शन मे ,आपका ब्रोकर डिफॉल्ट हुए शेअर्स खरीद कर आपने जिसे बेचे थे उसे वापस दे देगा| 

और आपने सेल किया हुआ भाव और ब्रोकर ने बाय किया हुआ भाव इसके बीच का अंतर आपको चूकाना होगा| इसी  के साथ पेनल्टी अलग से आपको देनी पडेगी | 

यदि ऑक्शन मे ब्रोकर के सेल किये हुए भाव से ज्यादा रेट पर बाय करता है| 

तो आपका नुकसान बढेगा इसके विपरीत आपके सेल कीए हुए रेट से अगर कम रेट मे खरीद लेता है तो आपका नुकसान कम होगा| 

2) शॉर्ट टर्म शॉर्ट सेलिंग:

 इंट्राडे शॉर्टसेलिंग मे आपको पोझिशन केवल एक दिन के लिए रखना होत है| 

लेकिन शॉर्ट टर्म सेलिंग मे आप शॉर्ट सेल की पोझिशन को कुछ दिन या कुछ सप्ताह तक भी होल्ड करके रख सकते है| 

 शॉर्ट सेल की पोझिशन होल्ड करने के लिए आपको यह पोझिशन कमोडिटी, करन्सी, या डेरिव्हेटिव्ह मार्केट मे लेनी होगी तभी यह संभव होगा| 

 डेरवेटिव्ह मार्केट मे आप शॉर्टसेलिंग की पोसिशन लगबग तीन महिने तक होल्ड कर सकते है| 

उदाहरण से समझने की कोशिश करते है ,

आपको लगता है की भारती एअरटेल का शेयर आने वाले एक महीने में और गिर सकता है|आप इस शेयर को एफ अंड ओ मार्केट मे बेच सकते है f & o मार्केट को ही डेरिव्हेटिव्ह मार्केट कहा जाता है| 

जब आपका भारती एअरटेल शेयर का टार्गेट आ जाये आप उसे फिरसे खरीद कर पोझिशन को निल कर सकते है| 

डेरिव्हेटिव्ह मार्केट मे लगभग 200 कंपनीज मे आप ट्रेडिंग कर सकते है| 

डेरिव्हेटिव्ह मार्केट में शॉर्ट सेलिंग से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बाते:

✅️ डेरिव्हेटिव्ह मार्केट मे Short Selling के लिए आपको अधिक मार्जिन की आवश्यकता होती है | 

✅️ मार्केट मे Short Selling करने के लिए इसे लॉट मे करना होता है  | equity मे आप सिंगल शेयर भी शॉर्ट सेल या बाय कर सकते है जैसे कि भारती एअरटेल का लॉट साईझ कम से कम 950 quantity का है | 

 शॉर्ट सेलिंग क्यू की जाती है?

शॉर्टसेलिंग एक hedging का तरीका है, hedging मतलब यदि मार्केट आपके अनुमान के विपरीत जाये तो आप कम से कम नुकसान करेंगे उसे हेजिंग कहा जाता है| 

 उदाहरण की सहायता से समझने की कोशिश करते है-

आपके पोर्टफोलिओ में टाटा स्टील के ₹5  लाख रुपये के शेयर पडे है और अपने यह शेअर्स 100/- रुपये भाव पर खरीदे है| 

और आने वाले महीने में आपको लगता है की चायना की डिमांड कम होने वाली है| 

इस कारण मेटल सेक्टर मे मंदी आने की संभावना है ,जैसे की आपने टाटा स्टील मे बडा निवेश किया है ,इस निवेश की सुरक्षा के लिए आप हेड्जिंग टूल का इस्तेमाल कर सकते है| 

 आप एक महीने का टाटा स्टील का फ्युचर करंट मार्केट प्राइस पे शॉर्ट सेल कर सकते है | 

यांनी आपने शेयर्स ज्यादा प्राइज पर बेच दिये, टाटा स्टील की प्राइस ₹100 है और अपने 5000 शेयर बेच दिये | 

आपकी टोटल सेल व्हॅल्यू ₹5 लाख  रुपये बन गयी| 

सिटूएशन 1

 एक्सपायरी के अंत तक वास्तव में टाटा स्टील के शेअर की प्राइस कम होकर ₹90 आ गई, अब अपने आपकी शॉर्ट पोझिशन को स्क्वेअर ऑफ करने के लिए उसे वापस खरीद लिया | 

कुल खरेदी किंमत-₹90*5000= ₹4.5 लाख

अब आपके वास्तविक निवेश कि किंमत:

पुराना निवेश  ₹90 * 5000=₹4.5 लाख

हेड्जिंग से कमाया हुआ प्रॉफिट :₹5लाख(sale value)-₹4.5 लाख (purchse value)=₹50,000/-

Current investment value + profit on hedging

₹4.5लाख + ₹50000=₹5 लाख |

 यहा शॉर्ट सेल करके कमाया हुआ प्रॉफिट वो आपके स्टॉक निवेश के उपर होने वाले नुकसान की भरपाई कर देगा,

 यहा पर हे हेड्जिंग करने के कारण आपने आपके पोर्टफोलिओ का लॉस कव्हर कर लिया |

सिटूएशन 2

 एक्सपायरी के अंत तक, टाटा स्टील का प्राईस बढ गया और आपका अनुमान गलत हुआ  | 

 अब टाटा स्टील के शेयर की प्राइस ₹110 रुपये पोहोच गई | 

 आपने आपकी शॉर्ट पोझिशन को स्क्वेअर ऑफ करने के लिए फिर से शेयर खरीदी लिए | 

कुल खरेदी किंमत – ₹110*5000=₹5.5 लाख

अब आपके वास्तविक निवेश कि किंमत:

पुराना निवेश-₹110*5000=₹5.5 लाख

हेड्जिंग के कारण नुकसान- ₹5 लाख (sale value)-₹5.5लाख (purchase value)=₹-50000

 दुसरी सिच्युएशन मे आपका अनुमान गलत हुआ शेयर की प्राइस गिरने की बजाय बढ गई इस परिस्थिती मे भी आप उसी स्थिती मे है जहा आप एक महिना पहिले थे | 

Current investment value – loss on hedging=₹5.50लाख – ₹50000=₹5 लाख

 तो आपने यहा देखा की हेजिंग से आप किस तरह आप खुद के इन्वेस्टमेंट का प्रोटेक्शन कर सकते है, यदि आपकी निवेश की राशि बडी है तब हेजिंग आपको मदत करेगी छोटी राशी के लोगो के लिए हेजिंग ज्यादा काम की नही है | 

Short selling कब करणी चाहिए?

भारतीय शेअर बाजार इंटरनॅशनल मार्केट को फॉलो करते है जब भी इंटरनॅशनल मार्केट में मंदी हो हमारे बाजार भी मंदी दिखाते है ऐसी स्थिति में हम शॉर्ट सेल कर सकते है | 

 कंपनी के शेयर के भाव उसके फायनान्शिअल रिझल्ट के उपर हरबार रिऍक्ट करते हुए दिखते है|

जब किसी कंपनी के फायनान्शिअल रिझल्ट खराब होने की उमीद हो तब आपको शॉर्ट सेल करने के बारे में सोचना है| 

 जब  रिझर्व बँक ऑफ इंडिया मॉनिटरी पॉलिसी में कुछ बदलाव करती है या कुछ अनाउन्समेंट करती है तब इंडियन शेअर मार्केट तेजी से हलचल करते हुए दिखते है|

उस समय आपको स्पेसिफिक बँकिंग स्टॉक्स मे शॉर्ट सेल करने के बारेमे सोचना चाहिए| 

बजेट जैसा इव्हेंट हो या इलेक्शन जब भी डर का माहोल हो आपको शॉर्ट सेल करने के बारे में सोचना है| 

शॉर्ट सेलिंग के फायदे:

 ✅️Short Selling की मदत से गिरते हुए स्टॉप में भी हम फायदा कमा सकते है| 

✅️ Short Selling मै आप मार्जिन लेकर अपनी पोझिशन बना सकते है| 

✅️ आपके पोर्टफोलिओ को सुरक्षित रखने के लिए शॉर्ट सेल का उपयोग करके आप हेड्जिंग कर सकते है| 

शॉर्ट सेलिंग के नुकसान: 

✅️ यदि आपने शॉर्ट सेल किये हुए शेयर की प्राइस घटने की बजाये बढ जाती है तो आपको अनगिनत नुकसान भी हो सकता है| 

✅️ यदि आप इंट्राडे Short Selling करते है और किसी कारण से शेअर को लगातार कुछ दिन तक उप्पर सर्किट लगते रहता है तो आपको भारी नुकसान का सामना करना पड सकता है| 

✅️ यदि आप डिफॉल्टर बनते है तो आपको भारी पेनल्टी भी देनी पडेगी| 

✅️ यदि किसी शेयर मे जादा Short Selling हो रही है तो उस शेयर की होलाटीलिटी अचानक से बढ सकती है| 

✅️ Short Selling की मदत से बडे बडे ऑपरेटर मार्केट मे स्पेक्युलेशन कर सकते है जो की आम निवेशक के लिए खतरा बन सकता है| 

निष्कर्ष

Short Selling यह कन्सेप्ट नये निवेशको के लिए नहीं है | Short Selling करके पैसे कमाने के लिए आपको टेकनिकल एनालिसिस और मार्केट की बहुत अच्छे से समझ होनी चाहिये | वैसे सोचा जाये तो शॉर्टसेलिंग एक हेड्जिंग का तरीका है ना की ट्रेडिंग का | 

Short Selling उन्ही को करना चाहिए जो मार्केट के अच्छे से समज रखते है नये लोग इस से दूर रहना अच्छा है |

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