शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए?[11 important tips]

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शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए?[11 important tips] कि इस पोस्ट में हम 11 ऐसे तरीकों के बारे में बात करेंगे जिनका इस्तेमाल करने के बाद निवेशक को जरूर फायदा होगा।

हर निवेशक यह चाहता है कि जिस शेयर में वह अपनी जमा पूंजी लगा रहा है। उस शेयर से उसे अच्छा मुनाफा मिले यह बात तभी मुमकिन हो पाएगी जब हमें पता हो कि हमें किस शेयर में निवेश करना चाहिए यानी शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए, शेयर खरीदते वक्त हमें किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।

शेयर खरीदने से पहले देखने चाहिए 11 महत्वपूर्ण कारक  Pin

शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए?

टेक्निकल अनालिसिस, फंडामेंटल अनालिसिस,के साथ साथ

  1. कंपनी के बिजनेस मॉडल को समझें
  2. कंपनी पर कर्ज बहुत कम होना चाहिए
  3. कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को संबोधित किया जाना चाहिए
  4. Business मे company का तजुर्बा और brand देखणा जरुरी
  5. कंपनी के जरूरी फाइनेंसियल रेश्यो देख कर निवेश करे |
  6. सर्किट लगने वाले शेयरो से दूर रहे
  7. कंपनी का मैनेजमेंट कैसे है यह देखना बेहत जरुरी
  8. इनोवेटिव और ग्रोथ वाली कंपनी में ही निवेश करना सही कदम
  9. शेअर होल्डिंग पॅटर्न चेक करे और निवेश करे |
  10. कंपनी का Market Capitalization देखे |
  11. कंपनी की डिव्हीडंट हिस्ट्री चेक कीजिए |

शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? इस सवाल का उत्तर बहुत सीधा  है, हम यहॉं पर मानकर चल रहे है- कि भारत गरीबो का देश है और यहाँ मध्यमवर्गीय  निवेशको की संख्या ज्यादा हैं|

और इनके  निवेश की राशि १०लाख रू से कम ही रहेगी।  शेयर बाज़ार के हिसाब से ये रक़म बहुत छोटी है, यहॉं लाखों करोड़ का कारोबार हर रोज़ होता हुआ दिखता है।

समझिये जब किसी व्यक्ति के पास निवेश के लिए करोड़ों रूपये हैं यदि उसमें उसको 2 -3  लाख का नुक़सान हो जाएगा तो उसको फ़र्क़ नहीं पडता लेकिन  छोटा निवेशक जो अपना कोई शौक़ मार कर पैसा बचाता है और उस पैसो से निवेश करने जा रहा है, तो उसको अगर  10000   रू का भी नुक़सान होता है तो बहुत दु:ख की बात है।

शेयर बाज़ार में काम करने का जो तरीक़ा हमे समझ आया है वह यह है की हमे ख़तरों से कम से कम खेलना है , पैसा कम कमालो पर पैसा मुद्दल कम नहीं होना चाहिए। इसलिए हमे अपने पोर्टफ़ोलियो में कभी कोई ऐसी कम्पनी नहीं रखनी है जो कमज़ोर दिख रही हो।

कमजोर यानी  कि जैसे कि क़र्ज़ा(डेब्ट) बहुत ज़्यादा है, या शेयर गिरवी(Pledge shares) रखे हुए हैं , या Promoter  पिछले 3-4 तिमाही में अपनी होल्डिंग्स कम कीये जा रहा  हैं, कम्पनी की कमाई कम होती जा रही है और व्यापार सिकुड़ रहा है।

 कोई भी शेअर खरीद ते समय उसका शेअर भाव देखना काफी नही होता है कंपनी के अन्या चीजो के बारे मे भी हमे बता होना चाहिये जिससे आपका निवेश एक अच्छी और मजबूत कंपनी मे हो

 इसलिये आपको एक चेकलिस्ट बनानी है ऊस चेकलिस्ट को फॉलो करके ऊस आधार पर आपको शेअर खरीदने का डिसिजन लेना है

 मै आपको वादा कर सकता हु किसी भी शेअर को खरीदने से पहले अगर आप इस चेकलिस्ट से हो कर जाओगे तो आपके हाथ ऐसी कंपनी लगेगी जिससे आपकी आर्थिक हालत सुधर सकती है

 जब भी कोई व्यक्ति कंपनी के शेअर करीत आहे मतलब वह ऊस कंपनी के बिजनेस में निवेश करता है इसका मतलब सिधा है यदि कंपनी का बिजनेस बढेगा तभी आपका पैसा भी बढेगा

 जब शेअर मार्केट मे निवेश की बात आती है तो दो तरह की इन्व्हेस्टमेंट होती है एक होता है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग और दुसरी होती है लॉंग टर्म इन्वेस्टमेंट, यदि कोई व्यक्ति ट्रेडिंग करता है |

एक दिन मे या कुछ दिन मे पैसे कमाना चाहता है तो उसे टेक्निकल अनालिसिस सीखना चाहिए जिससे कंपनी का शेअर का प्राईस स्टडी किया जा सकता है

 फंडामेंटल अनालिसिस करके शॉर्ट टर्म ट्रेडर कुछ बेनिफिट नही उठा पयेगा क्यूकी फंडामेंटल अनालिसिस लंबी अवधी के शेअर चुने के लिए युज किया जाता है |

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1) कंपनी के बिजनेस मॉडल को समझें

business modelPin

 शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए?

दुनिया के किसी भी व्यवसाय में बहुत सारे अवसर और बहुत सारे जोखिम होते हैं, इसलिए जब कोई व्यक्ति निवेश करने जा रहा है, तो कंपनी के व्यवसाय मॉडल को समझना महत्वपूर्ण है, क्यों कि 100 व्यवसायों में से 80 व्यवसाय समय के साथ विफल होते हैं।

 इसलिए जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदने जा रहे हैं तो आपको कुछ जरूरी बातों को समझने की कोशिश करनी चाहिए जैसे:

A) कंपनी का मुख्य उत्पाद क्या है |

B) कंपनी को सबसे ज्यादा मार्जिन किस प्रोडक्ट से मिलता है

C) यह जानना जरूरी है कि सरकार की कौन सी योजनाएँ कंपनी के व्यवसाय के लिए लाभदायक हैं और कौन सी योजनाएँ कंपनी के व्यवसाय के लिए लाभदायक नहीं हैं।

  अगर एक उदाहरण से समझने की कोशिश करें तो देखा जा सकता है कि कुछ महीने पहले जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हुआ था तो दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा हर देश का बड़ा केंद्रबिंदु  हो गया था

इसलिए सरकार ने डिफेंस सेक्टर (defence sector) की कंपनियों को काफी रियायतें दी थीं और इन रियायतों के कारण इन कंपनियों को बहुत फायदा हुआ, जैसे की,hal (Hindustan Aeronautics ,Mazgaov docks आदि ।

कंपनी के शेयर की कीमत कुछ ही महीनों में चार गुना बढ़ गई और कंपनी ने शेयरधारकों के पास दौलत दौड़ कर आ गयी।

D) यह देखना आवश्यक है कि क्या कंपनी नियमित आधार पर अच्छा व्यवसाय कर सकती है, एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनियां नियमित आधार पर अच्छा व्यवसाय करती दिखती हैं

क्योंकि दैनिक साफ-सुथरी वस्तुओं की आवश्यकता होती है और सभी का उपभोग होता है। यदि हम बात करेंगे धातु क्षेत्र की तो, वैश्विक बाजार की मांग और मुख्य रूप से चीन में आपूर्ति मांग बढ़ती है

तो हम धातु क्षेत्र में उछाल या मंदी देख सकते हैं दोनों व्यवसाय अलग हैं और हम देखते हैं कि धातु क्षेत्र का कारोबार नियमित रूप से नहीं चल रहा है लेकिन एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनियां साल दर साल अच्छे परिणाम दिखा रही हैं |

  यह देखने के लिए कि कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन कर रही है या बुरा

हम कंपनी के तिमाही और सालाना नतीजों पर नजर रख सकते हैं। तिमाही नतीजों का मतलब है कि हर तीन महीने में नतीजे घोषित किए जाते हैं।

यह रिजल्ट देख कर कंपनी में निवेश करना है या नहीं, इसका फैसला लिया जाता है।

E) यह जांचना भी आवश्यक है कि जिस कंपनी में हम निवेश करने जा रहे हैं, वह अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कैसी है। यदि हम किसी भी व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा का उदाहरण लेना चाहते हैं, तो एक इंफोसिस है|

दूसरी टीसीएस है, दोनों कंपनियां आईटी क्षेत्र में दिग्गजों के रूप में जानी जाती हैं। इनमे से कोनसी कंपनी अच्छा परफॉरमेंस दिखा रही है उस कंपनी में हम निवेश कर सकते है |

F) यह जांचना आवश्यक है कि क्या कोई अन्य कंपनी, कंपनी के बिजनेस मॉडल की नकल तो नहीं कर रही है|

2) कंपनी पर कर्ज बहुत कम होना चाहिए

loan on companyPin

शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? 

जब भी कोई बिजनेस करना हो तो या तो कंपनी के पास बिजनेस को बढ़ाने के लिए पर्याप्त पैसा होना चाहिए या फिर कंपनी उस पैसे को उधार ले सकती है।

  आज तक कई कंपनियों के साथ ऐसा हुआ है कि कंपनी ने कर्ज लिया और दिवालिया हो गई क्योंकि कंपनी कर्ज चुकाने में असमर्थ थी और साथ ही जिन लोगों ने कंपनी में निवेश किया था उनका पैसा दिवालिया हो गया। उदाहरण के लिए kingfisher airlines का दिवालिया होना यह समज़ने की कोशिश कीजिये  |

  कंपनी में निवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को यह देखने की जरूरत है कि क्या कंपनी के पास कर्ज चुकाने की क्षमता है या नहीं। यानी एक कहावत है कि मोती कभी भी नाक से भारी नहीं होना चाहिए |  एक बात हमेशा याद रखें कि कर्ज को नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी है |

  शेयर बाजार में ऐसी कई कंपनियां हैं जिन पर कोई कर्ज नहीं है यानी 0 रुपये का कर्ज है, इन कंपनियों में निवेश करना काफी फायदे का सौदा हो सकता है।

  इन कंपनियों को कर्ज मुक्त कंपनियां कहा जाता है।

शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? पोस्ट में देखते है भारत में शीर्ष ऋण मुक्त कंपनियों की सूची:

  • Tata Consultancy Services (TCS)
  • Infosys
  • SBI Life Insurance Company
  • Hindustan Unilever (HUL)
  • ITC
  • Divi’s Laboratories
  • Brightcom Group

सिर्फ कर्ज मुक्त कंपनी को देखते हुए उसमें निवेश का फैसला लेना ठीक नहीं होगा।कुछ अन्य कारक भी हैं जिन्हें निवेशकों को जांचना चाहिए।

3) कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को संबोधित किया जाना चाहिए

  कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य की जांच करने के लिए कंपनी की बैलेंस शीट को पढ़ना जरूरी है।

  कंपनी की बैलेंस शीट एक वित्तीय रिपोर्ट है जो कंपनी की संपत्ति के साथ-साथ देनदारियों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।

  कंपनी के पास कितना कैश है यह भी हम इस रिपोर्ट से समझ सकते हैं |

  उदाहरण के लिए

a.Glaxosmith

b.Colgate

आज के समय में यह Debt Free कम्पनिया है |

4)Business मे company का तजुर्बा और brand देखणा जरुरी

business brandPin

शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? 

जब भी कोई नही कंपनी शेअर मार्केट मे आती है बिजनेस करने के लिए उनका अनुभव कम होता है

जब की पुरानी कंपनी का अनुभव ज्यादा होने के कारण बिझनेस करणे मे उनको कठीणाई कम आती है यह हालात आम निवेशको के लिए अच्छे होते है..

उदाहरण के लिए आप टाटा मोटर्स इस कंपनी को देख सकते हो जब 2008 मे अच्छी अच्छी  कंपनी का परफॉर्मन्स ढल रहा था ऐसे समय में रतन टाटा जी ने एक लाख रुपये मे आम इन्वेस्टर के लिए नॅनोकार का निर्माण किया,

इतने सस्ते किंमत पर कार बेचना जब कंपनी के पास तजुर्बा होगा इस तरह कुछ पुराणे brand कि लिस्ट आप नीचे देख सकते हो

1)mahindra group

2)bajaj group

3)tata group

4)aditya birla group

5)adani group

आदी पुराणे और विश्वासनीय नाम है |

5) सर्किट लगने वाले शेयरो से दूर रहे

 शेअर मार्केट मे दो तरह के सर्किट होते है, एक होता है अप्पर सर्किट वर एक होता है लोअर सर्किट, सर्किट का मतलब होता है एक प्राइस रेंज के बाद किसी शेअर में जब ट्रेडिंग स्टॉप की जाती है

 यह सर्किट लिमिट एक्सचेंज द्वारा बनाई जाती है

 ऐसा इसलिये किया जाता है  क्यूकी शेअर मे जादा गिरावट ना आए कारण किसी विशिष्ट न्यूज से अगर शहर की प्राइस बढती या घटती है तो उसमे एक लिमिट तक ही तेजी या मंदी दिखे इसलिये सर्किट बनाया जाता है

इसे आसान भाषा मे मूल्य घटने की सीमा यांनी lower circuit और मूल्य बढणे की सीमा यानी upper circuit कहा जाता है

 निवेश करण्याचे पहिले सर्किट लगने वाले शेयरो से दूरी बनाये रखना ही समजदारी का डिसिजन होता है शेअर सर्किट की लिमिट हम बीएससी इंडिया डॉट कॉम या एन एस सी इंडिया डॉट कॉम दोनो वेबसाईट पर देख सकते है|

6)कंपनी के जरूरी फाइनेंसियल रेश्यो देख कर निवेश करे

financial ratio of companyPin

शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? 

फायनान्शिअल रेशो असे अनुपात विश्लेषण भी कहा जाता है कुछ आपको की मदत से हम कंपनी के फंडामेंटल समझने की कोशिश करते है ऊन आकडो को फायनान्शिअल रेशो कहा जाता है

 वैसे तो फायनान्शिअल मार्केट मे कंपनी की फायनान्शिअल कंडिशन समझने के लिए बहुत सारे फायनान्शियल रेशो होते है  लेकिन कुछ इम्पॉर्टंट होते है उसकी लिस्ट आप यहा देख सकते हो|

  • PE Ratio (Price to earning ratio)
  • PB Ratio (Price to book value ratio)
  • Debt to Equity Ratio
  • Earning per share(EPS)
  • Book value per share

7)कंपनी का मैनेजमेंट कैसे है यह देखना बेहत जरुरी

company managmentPin

शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? 

कंपनी के बारे मे निर्णय लेने की शक्ती जिनके पास होती है उसे मॅनेजमेंट कहते है

 यदि कंपनी का मॅनेजमेंट अच्छा होगा तो कंपनी मे निवेश करणे वालो को भी अच्छा रिटर्न मिलेगा क्यूकी मॅनेजमेंट जो फैसला लेगा उसका कंपनी के परफॉर्मन्स पे डायरेक्टली इम्पॅक्ट पडेगा यह बात हर किसी को समझने की जरूरत है

उदाहरण के लिये हम अंबानी ब्रदर्स की स्टोरी समजते है,

 भारत की मशहूर अंबानी फॅमिली जब विभाजित हुई तब वह दो तुकडो मे बट गयी एक मुकेश धीरूभाई अंबानी ग्रुप और दुसरा अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप जिने लोक बडे मिया और छोटे मिया यह नाम से भी पहचानते है

 कुछ सालो मे मुकेश धीरूभाई अंबानी ग्रुप की कंपनी या भारत की और विश्व की बेहतरीन कंपनी मे से एक बन गई लेकिन अनिल धीरूभाई अंबानी की कंपनी या दिवालीया हो गई

 ऐसा क्यू हुआ इसका अगर हम अन्सर खोजते है तो मुकेश के पास निर्णय क्षमता थी इसलिये यह हो पाया लेकिन अनिल के पास एक क्षमता नही दिखाई दी

 मुकेश की कंपनीयो मे निवेश करने वाले लोगो का पैसा अच्छे से grow हुआ लेकिन अनिल की कंपनी में निवेश करने वाले लोगो का बुरा हाल हुआ

 इस कारण से जब निवेश करना है तब मॅनेजमेंट देखना बेहत जरुरी होता है |

8. Innovation और ग्रोथ वाली कंपनी में ही निवेश करना सही कदम

 बिझनेस मे कंपनी डूबने का और एक कारण है Innovation की कमी

उदाहरण के लिये,

 एचएमटी घडी किसी जमाने मे सबसे आगे हुआ करती थी कुछ समय बात  टायटन ने उसकी जगा ले ली अभी के समय में स्थिती एकदम विपरीत है आज कल लोक समय देखने के लिए घडी का नही बल्की मोबाईल फोन का उपयोग करते है तो घडी का बिजनेस समय समय के साथ बदलते गया जीन कंपनीने अपने बिजनेस मे समय के साथ बदलाव लाया वह कंपन्या survive हो पायी |

 इलेक्ट्रिकल व्हेईकल यह आगे आने वाले समय की जरूरत है इस सेक्टरने जो कंपन्या काम कर रही है उसमे निवेश करना भविष्य के हिसाब से बहुत अच्छा साबित हो सकता है

 इनोवेशन की जब बात आती है तो सबसे आगे नाम आता है एक ऐसी कंपनी का जो की दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कंपनी मे से एक है ऊस कंपनी का नाम है

एप्पल कंपनी यह कंपनी समय समय के साथ नये इनोवेशन करती रहती है ऐसा करने से कंपनी की ग्रोथ आज तक कभी भी कम नही हुई है

 तो नये निवेशको को यह जरूर ध्यान मे रखना चाहिए की कंपनी का बिजनेस इनोव्हेटिव्ह होना चाहिये

9) शेअर होल्डिंग पॅटर्न चेक करे और निवेश करे |

 किसी कंपनीमे निवेशकने कितना पैसा लगाया है और उनके पास कंपनी के कितने शेअर्स है यह आकडा याने शेअर होल्डिंग पॅटर्न जिसे हम बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाईट से देख सकते है

 कंपनी मे मुख्यतः तीन तरह के शेअर होल्डर होते है,

1)Promoter

2)Public

3)Institution

 यदि कंपनी के शेअर्स प्रमोटर और इन्स्टिट्यूशन के पास जादा है इसका सिधा मतलब होता है |

कि कंपनी मे कुछ तो खास बात है इसलिये यह लोग शेअर को होल्ड करे रखे है यदि इन लोगो का कंपनी कर भरोसा नही होता तो इनका होल्डिंग भी यह कम कर लेते |

 शेअर होल्डिंग देखके कंपनी ठीक है एक अनुमान हम लगा सकते है |

10)कंपनी का Market Capitalization देखे |

Market CapitalizationPin

शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? 

कंपनी का मार्केट कपिटलायझेशन इसे हम बाजार मूल्य भी कहते है जिससे हमे कंपनी का साइज कितना बडा है यह समझने में मदत मिलती है

 तीन तरह की मार्केट कॅपिटलायझेशन  कंपनी होती है

1)Large Cap

2)Mid cap

3)Small cap

जो कंपनियां आकार में सबसे बड़ी होती हैं उन्हें Large Cap कंपनियां कहा जाता है और इन कंपनियों में जोखिम कम होता है क्योंकि इन कंपनियों के फंडामेंटल बहुत अच्छे होते हैं।

 जबकि Mid cap  और Small cap  कंपनियों में रिस्क फैक्टर थोड़ा अधिक होता है क्योंकि ये कंपनियां छोटी से बड़ी बनने वाली होती हैं।मिडकैप और स्मॉल कैप कंपनियों में काफी प्रतिस्पर्धा होती है।

  याद रखें कि स्मॉल कैप और मिड कैप कंपनियों में सबसे अधिक अस्थिरता तब होती है जब बाजार में तेजी और गिरावट होती है |

लेकिन इसके अलावा, अगर हम लार्ज कैप कंपनियों में निवेश कर रहे हैं और बाजार में उछाल और गिरावट है, तो ये कंपनियां कम अस्थिर होती  हैं।

 इसलिए शेयर बाजार में निवेश करते समय कंपनी का मार्केट कैप देखना जरूरी है |

11) कंपनी की डिव्हीडंट हिस्ट्री चेक कीजिए |

 डिव्हीडंट यांनी वह पैसा जो पैसा कंपनी अपने मुनाफे से शेअर होल्डर को बाटती है |

अक्सर अच्छी कम्पनिया डिविडेंट को बाटती है जिससे कम्पनि का ट्रांसपेरेंट काम हमे नजर आता है |

भारत की सबसे अछि लम्बी अवधि में डिविडेंट देने वाली कम्पनियोकि सूचि आप निचे देख सकते हो |

best dividend-paying Indian stock market:

a.Indian Oil Corporation Limited

b.Indus Towers Limited.

c.SJVN Limited.

d.Oil India Limited.

e. REC Limited. आदि

अच्छी डिविडेंट देने वाली कम्पनियोमे आप निवेश के लिए जरूर सोच सकते हो |

Conclusion

शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए ?[11 important tips] की पोस्ट में हमने देखा की अगर हमें शेयर खरीदने के बाद मुनाफा चाहिए तो शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए ?

इस के लिए कुल 11 टिप्स को हमने यहाँ एक्सप्लेन किया है ताकि आप अंदाजा लगा पाए की आपको खरीदना चाहिए

Share Market में निवेश शुरुवात करने वाले Beginner इन्वेस्टर के लिए शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? की 11 बहुत फायदेमंद साबित होंगी।
उम्मीद है आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी

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