इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला हिन्दी | प्रॉफिट के लिए केवल मात्र 1 तरीका आजमाकर देखें |

वर्ष 2023  में आप “इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला”  खोज  कर रहे हैं। तो इसके लिए आपको रिस्क मैनेजमेंट को समझना और सीखना अत्यंत  जरूरी है।  इंट्रा डे ट्रेडिंग एक ऐसा माध्यम है जिसकी मदत से बहुत कम समय में बड़ा पैसा कमाया जा सकता है साथ में  उतनी ही रिस्क रहेगी | 

यदि अपने इंट्राडे ट्रेडिंग की शुरुवात बड़े जोशपूर्वक तरीकेसे की है या करना चाहते है तो यह आर्टिकल आपकी बड़ी मदद करेगा | स्टॉक मार्केट मे आपने सुना होगा की अधिक तर लोक केवल पैसा बरबाद ही करते है |

 बहुत कम लोग शेअर मार्केट से पैसा बनाते है और यह बात कुछ हद तक सच भी है इसका कारण यह है की अधिकांश लोगो को ऐसा लगता है कि डिमॅट अकाउंट खुलवाना है कुछ पैसा डालना है और नसीब आजमाना है लेकिन यह बात सच नही है दोस्तो यदि आप नशीब आजमने की कोशिश मे शेअर मार्केट मे निवेश कर रहे है तो आप एक दिन आपका पैसा गवा देंगे |

 अगर सोचा जाये तो ट्रेडिंग करना इतना भी कठीण नही है जो लोग ट्रेडिंग मे लॉस कर रहे है उसका पीछे का महत्वपूर्ण कारण या है की व किसी Holygrail Trading Strategy के पीछे भाग रहे है या इंट्राडे ट्रेडिंग टिप्स के ऊपर निर्भर है |

 दुनिया मे ऐसी कोई भी पेड टिप्स नही है जो की आपको हर वक्त प्रॉफिट देगी |

 शेअर मार्केट मे आप रातोरात अमीर बन जायेंगे ऐसा कोई “इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला” दुनिया मे नही है जो आपको सक्सेस दे पाये |

इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला

इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला

इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला

आपको इंट्रा डे ट्रेडिंग में सक्सेस पाने के लिये केवल और केवल एक मात्र Jackpot Secret Formula है उसका हम रिस्क मैनेजमेंट या money Management भी कहते है |

असल में इसका महत्व जानना और मानना हर ट्रेडर के लिये महत्वपूर्ण है |

आमतौर पर ट्रेडर को इंट्रा डे ट्रेडिंग सक्सेस फॉर्मूला और रिस्क मैनेजमेंट समजने में कई साल लगते है |

जब इंट्रा डे ट्रेडिंग सक्सेस फॉर्मूला समझ आता है तब तक काफी कुंजी मार्केट में लॉस के कारण ये गवा दिये होते है |

जो इंट्रा डे ट्रेडिंग सक्सेस फॉर्मूला शुरु से जानकर समजकर निवेश करते है वोह कभी लाईफ में असफल नही होते है |

अब समजते है कि रिस्क मैनेजमेंट होता क्या है, यह कैसे काम करता है |

रिस्क मैनेजमेंट क्या है?

इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला

इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला

इस ग्रह पर ऐसा कोई Trader नहीं है जिसको कभी trading में नुकसान से सामना करना ना पड़ा हो, यह ट्रेडिंग का हिस्सा हैं । वास्तव में, इंट्रा डे सक्सेस फॉर्मूला यह है कि आप अपने होने वाले नुकसान को कैसे मैनेज करते हैं, ऐसा करने से मुनाफा स्वयं आपका ख्याल रखेगा।

इसे ही रिस्क मैनेजमेंट कहा जाता है,असफल व्यापारियों में से अधिकांश के पास कुछ बड़े वास्तविक बड़े घाटे वाले ट्रेड्स होते हैं जो अपनी कुल राशि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा नष्ट कर देते हैं। याद रखें नुकसान जितना बड़ा होगा, रिकवरी उतनी ही मुश्किल होगी।

अपने प्रत्येक ट्रेड  के लिए इस सरल सूत्र का प्रयोग करें।

अपनी पूंजी को 100 से विभाजित करें, यह प्रति ट्रेड को आपकी लॉस की सीमा रहेगी ।

मान लें कि आपके खाते में 1 लाख रुपये हैं, 1000 प्रति ट्रेड आपकी अधिकतम हानि की सीमा होगी ।

अब अपनी एंट्री और स्टॉप लॉस में अंतर की गणना करें, मान लें कि किसी ट्रेड के लिए आपकी एंट्री 205 है और स्टॉप लॉस 200 रुपये है, तो 5 रुपये का अंतर है।

  1000 की हानि सीमा को 5 से विभाजित करें और आपको व्यापार करने के लिए Trading Quantity मिल जाएगी, हमारे उदाहरण में यह 200 पर आ जाएगी।

केवल Trading Quantity में ट्रेडिंग करें इसे ही रिस्क मैनेजमेंट कहा जाता है |

रिस्क को मैनेज कैसे करना है –

इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला  मे रिस्क को कैसे बाटते है और कम से कम लॉस लेकर ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट कैसे लिया जाय यह समझते है |  

  सबसे पहले आपको अपने 1,00,000 रु. को  33  – 33  हजार के तीन भागों में बांट लेना है। अब आज के दिन आपको सिर्फ 33  हजार पर 3 प्रतिशत रिस्क लेना है।

मतलब आज आपको सिर्फ 1000 रु. का ही जोखिम लेंगे।

और मान लिया जाय कि आपको अपने ट्रेड के ऊपर जो पहला ट्रेड लिया उसमें  600 रु. का मुनाफा हुआ ।

तो अब आपको इस मुनाफे का आधा लगभग 300  रु. हर हाल में इतना प्रॉफिट लेना ही है ।

नए ट्रेडर्स यह सोचते है की 1000 का रिस्क तो लेना ही था अब 600  प्रॉफिट हो गया तो अब 1600  तक का रिस्क ले सकते हैं।

लेकिन आपको  ऐसा नही करना है यदि 600 का मुनाफा हुआ है तो अब आपको अपने कैपिटल पर रिस्क नहीं लेना है ,किन्तु मुनाफे में जो राशि मिली है उसपर ही 300 का रिस्क लेना है।

ऐसा करने से क्या होगा इसके पीछे का फॉर्मूला समझते है ,

क्योंकि आज जो आपको  मुनाफा हुआ है, तो कम से कम उसमे से आधा तो लेकर ही जाना है ।

 अब आज के दिन ही  दूसरे ट्रेड में यदि 400 का मुनाफा होता है तो आज का आपका कुल मुनाफा 1000 रु. होगा ।

अब जब कभी भी ट्रेड सेटअप के हिसाब से ट्रेड लिआ जायेगा तो उसमे  मात्र 200  रु. का ही रिस्क रख कर काम करना है । और जब भी आपको  200 का नुकसान होगा तब वही से आज के दिन की ट्रेडिंग रुकवानी है और आपको दूसरे कामों में लग जाना है ।

इससे आपको बेनिफिट ये होगा कि अब यदि आप नुकसान में जाओगे तब आपको केवल 200 रु. का ही नुकसान होगा , जबकि 800 के फायदे में तो आप  पहले से ही रहेंगे। 

और ये भी हो सकता है कि इसके बाद भी आपके  3  से 4  या और ज्यादा ट्रेड सही चल जाये तो आपका मुनाफा तो बढ़ता ही जायेगा जबकि नुकसान होगा तब सिर्फ 200 रु. का ही होगा। मतलब आप किसी भी परिस्तिति में फायदे में ही रहेंगे ।

ये तो था आज के लिए ट्रेडिंग प्लान, अब आपको कल के दिन क्या करना होगा ?  इसे हम समझते है 

कल आपको आज के मुनाफे का जो कि हम  800 रु. ही मान के चल रहे है , उसमें से केवल 400 का रिस्क लेना है इसका अर्थ आधे से भी कम का रिस्क लेना होगा।

और जैसे ही किसी भी ट्रेड में मुनाफा आता है तब उसका 50 % तो आज भी किसी भी परिस्तिति में घर लेकर जाना ही है।

इस तरह हर दिन आपको अपने रिस्क की लिमिट तय करते जाना है और एकदम सटिक तरीके से उसका पालन करते रहना होगा ।

ऊपर दी गयी परिस्तिति मुनाफेवाली ट्रेड की थी, यदि  मुनाफा मिल जाये तो कैसे ट्रेड करना है। अब नुकसान वाले ट्रेड में आपको क्या करना होगा यह जानना अतिमहत्वपूर्ण है | 

 मान लिया आपको आज अपने कैपिटल का 3 प्रतिशत यानी 1000 रु. का रिस्क लेना है। और पहले ट्रेड में ही आपको 400 रु. का लॉस हो गया तब अगले ट्रेड में फिर सिर्फ 400 का रिस्क उठाना होगा ।

 यदि अगला ट्रेड भी नुकसान देता है तब तो या तो आप अपनी आज की ट्रेडिंग बंद कर सकते हो या बचे हुए 200 रु. का रिस्क लेकर एक और फ्रेश ट्रेड बना सकते हैं।

एक बात हमेशा ध्यान में रखना है की 1000 रुपये से ज्यादा राशि का नुकसान नहीं होना चाहिए | 

रिस्क मैनेजमेंट को ना समझना और यदि समझ गए तो रिस्क मैनेजमेंट का ट्रेडिंग में पालन ना करना यह आपके लॉस्स का सबसे बड़ा कारन है | 

आप कुछ दिन इस तरीके को अपनी ट्रेडिंग में अपनालो महीने के अंत में आप जरूर प्रॉफिट में होंगे यह आपको आश्वासन देता हु।

 ये बात हमेशा याद रखिये कि हर बार ट्रेडिंग में लॉस कम से कम हो और प्रॉफिट ज्यादा से ज्यादा । यही इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला है | 

यदि  आपको ज्यादा नुकसान होता हैं तब  फिर आप मुनाफे के लिए ट्रेडिंग न करके आपका जो  नुकसान हुआ है उसकी भरपाई के लिए ट्रेडिंग करने लगते हैं इसमें होता यह है की आपका नुकसान बढ़ते जाता है और उसी के साथसाथ आपका मानसिक डिप्रेशन भी बढ़ता है ।

ट्रेडिंग के साथ ही जरुरी है ट्रेडिंग मनोविज्ञान को समझना आगे आने वाले आर्टिकल में हम इस विषय पर जरूर चर्चा करेंगे | 

FAQ – FREQUENTLY ASKED QUESTIONS

इंट्राडे ट्रेडिंग में सक्सेस रेश्यो  क्या है?

यह लगभग 3.5% से 4.5% सक्सेस रेश्यो है।  ये दर 6 से 8 % भी हो सकता है लेकिन इसके लिए आपको अनुभव होना जरुरी है। और छोटी छोटी सफलता पर रुक ना आना चाहिए ताकि हम  समय बाजारमे टिके रह सके।

अच्छे रिटर्न्स के लिए इंट्राडे स्ट्रेटेजी ?

इंट्राडे ट्रेडिंग रणनीतियाँ चलती स्टॉक खोजने के बारे में हैं जो हर रोज़ उतार-चढ़ाव दिखाती हैं। आप लगभग 25-35% स्टॉक पा सकते हैं जो उतार-चढ़ाव दिखाते हैं। इस उतार-चढ़ाव को गति कहा जाता है। ऐसे शेयरों को खोजने के लिए स्टॉक स्कैनर का इस्तेमाल किया जाता है।

निष्कर्ष :

रिस्क मैनेजमेंट कैसे किया जाय यह हरएक ट्रेडर के लिए अमूल्य ज्ञान है | सिर्फ रिस्क मैनेजमेंट को समझ कर ही इंसान शेयर मार्किट में आकाश की बुलंदियों को छू सकता है | इससे आपको यह तो जरूर समझ आया होगा की “इंट्रा डे ट्रेडिंग का सक्सेस फॉर्मूला” में सफलता पाने के लिए रिस्क मैनेजमेंट कैसे काम करता है और इसका महत्व क्या है.| इसका इस्तेमाल करने से धीरेधीरे आपकी ट्रेडिंग में तेज़ दिखेगा जरुरत है समय देने की और इस आर्टिकल को अपने क़रीबियोके साथ शेयर करने की | 

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